अमेरिकी निवेशकों ने भारत पर जताया भरोसा, 40 बिलियन डॉलर के पार पहुंचा FDI

अमेरिकी निवेशकों ने भारत पर जताया भरोसा, 40 बिलियन डॉलर के पार पहुंचा FDI

भारत में अमेरिकी निवेश (FDI) इस साल 40 बिलियन डॉलर पार कर चुका है. भारत पर केंद्रित बिजनेस एडवोकेसी ग्रुप के प्रेसीडेंट के मुताबिक ये अमेरिकी कंपनियों के भारत में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है.

कोरोना महामारी के दौरान अमेरिकी कंपनियों ने भारत और भारत के राजनैतिक नेतृत्व में काफी भरोसा जताया है, ये बयान भारत में होने वाले हर बड़े अमेरिकी निवेश पर नजर रखने वाले बिजनेस फोरम US-India स्ट्रेटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) के प्रेसीडेंट मुकेश अघी ने दिया है. अघी के मुताबिक, इस साल अब तक अमेरिकी FDI 40 बिलियन डॉलर पार कर चुका है’, जिसमें से हाल ही के हफ्तों में ही 20 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा निवेश का ऐलान किया गया है.

निवेशकों का भारत में भरोसा काफी ज्यादा है. वैश्विक निवेशकों के लिए भारत अभी भी बेहद सम्भावनाओं से भरा बाजार है. अगर आप 20 बिलियन डॉलर के निवेश की बात करें तो केवल अमेरिका से ही नहीं ये मिडिल ईस्ट और फार ईस्ट जैसे क्षेत्रों से भी आया है. अघी एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि, इसलिए भारत निवेशक समुदाय के लिए एक बहुत बहुत तेजी वाला बाजार है.

USISFP नई दिल्ली के साथ मिलकर भारत में अमेरिकी निवेश आकर्षित करने के लिए काम करता आ रहा है, चीन से अपना बेस हटाकर कहीं और ले जाने के लिए लगातार अमेरिकी कंपनियों को लुभाने की योजना में एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर काम कर रहा है, ये कहते हुए मुकेश बताते हैं कि, यूं तो इस योजना पर ट्रम्प की सरकार के 3 सालों से काम चल रहा था, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इस काम में तेजी आई है. 

अघी कहते हैं कि हमें लगता है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इरादे बहुत बड़े हैं. अमल करने के रास्ते में काफी चुनौतियां हैं. मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. मैंने कभी भी इससे बेहतर नहीं देखा. पॉलिसी फ्रेमवर्क सही दिशा में आगे बढ़ रहा है.

इस हफ्ते की शुरूआत में ह्वाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने संवाददाताओं को बताया था कि गूगल और फेसबुक जैसी अमेरिकी की बड़ी टैक कंपनियों का भारत में बड़े निवेश का ऐलान दिखाता है कि लोगों का भरोसा चीन पर से उठ रहा है और भारत एक बड़े प्रतियोगी के रुप में तेजी से उभर रहा है. 

इसी मौके पर उन्होंने इस बात का गिला भी किया कि भारत अभी भी संरक्षणवादी देश बना हुआ है. इस पर अघी कहते हैं कि सवाल ये है कि आप संरक्षणवाद को कैसे परिभाषित करते हैं, यहां प्रशासन कह रहा है कि अमेरिका फर्स्ट और भारत ‘वोकल फॉर लोकल’ की बात कर रहा है.

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